जीडीपी क्या है और जीडीपी की गणना कैसे होती है?

जीडीपी क्या है और जीडीपी की गणना कैसे होती है?
जीडीपी क्या है और जीडीपी की गणना कैसे होती है?

नमस्कार दोस्तों कैसे है आप सभी? मैं आशा करता हु की आप सभी अच्छे ही होंगे. तो दोस्तों आज हम जीडीपी क्या है? के बारे में विस्तार से जानेंगे.

आज के इस पोस्ट में हम जीडीपी क्या है, जीडीपी का फुल फॉर्म क्या है, जीडीपी की गणना कैसे होती है, आम जनता के लिए यह क्यों अहम है, क्या होगा GDP गिरने से, भारत में कौन जारी करता है GDP के आंकड़ें, जीडीपी के प्रकार, आदि के साथ-साथ इससे सम्बंधित और भी बहुत सारी महत्वपुर्ण बातो के बारे में जेनेंगे.

तो चलिए शुरू करते है…

जीडीपी क्या है? | What is GDP?

GDP Kya Hai? – ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट यानी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) किसी एक साल में देश में पैदा होने वाले सभी सामानों और सेवाओं की कुल वैल्यू को कहते हैं.

रिसर्च और रेटिंग्स फ़र्म केयर रेटिंग्स के अर्थशास्त्री सुशांत हेगड़े का कहना है कि जीडीपी ठीक वैसी ही है, जैसे ‘किसी छात्र की मार्कशीट’ होती है.

जिस तरह मार्कशीट से पता चलता है कि छात्र ने सालभर में कैसा प्रदर्शन किया है और किन विषयों में वह मज़बूत या कमज़ोर रहा है. उसी तरह जीडीपी आर्थिक गतिविधियों के स्तर को दिखाता है और इससे यह पता चलता है कि किन सेक्टरों की वजह से इसमें तेज़ी या गिरावट आई है.

इससे पता चलता है कि सालभर में अर्थव्यवस्था ने कितना अच्छा या ख़राब प्रदर्शन किया है. अगर जीडीपी डेटा सुस्ती को दिखाता है, तो इसका मतलब है कि देश की अर्थव्यवस्था सुस्त हो रही है और देश ने इससे पिछले साल के मुक़ाबले पर्याप्त सामान का उत्पादन नहीं किया और सेवा क्षेत्र में भी गिरावट रही.

भारत में सेंट्रल स्टैटिस्टिक्स ऑफ़िस (सीएसओ) साल में चार दफ़ा जीडीपी का आकलन करता है. यानी हर तिमाही में जीडीपी का आकलन किया जाता है. हर साल यह सालाना जीडीपी ग्रोथ के आँकड़े जारी करता है.

माना जाता है कि भारत जैसे कम और मध्यम आमदनी वाले देश के लिए साल दर साल अधिक जीडीपी ग्रोथ हासिल करना ज़रूरी है ताकि देश की बढ़ती आबादी की ज़रूरतों को पूरा किया जा सके.

जीडीपी से एक तय अवधि में देश के आर्थिक विकास और ग्रोथ का पता चलता है.

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GDP Full form क्या हैं?

GDP Full form यानी जीडीपी का पूरा नाम “Gross Domestic Product” हैं जिसे हिंदी भाषा मे सकल घरेलू उत्पाद के नाम से जाना जाता है औऱ भारत मे हर तीन महीने बाद GDP की गणना की जाती हैं जिसे देश की तरक़्क़ी का विश्लेषण किया जाता है।

GDP का इतिहास क्या है?

1930 के दशक में द्वितीय विश्वयुद्ध खत्म हो चुका था और पूरी दुनिया आर्थिक मंदी से जूझ रही थी और लगभग 10 वर्ष के बाद पूरी दुनिया इस आर्थिक मंदी से बाहर निकल सकी उसके पश्चात देश के आर्थिक विकास का पता लगाने के लिए ऐसे तरीके के बारे में खोज शरू हुई जिसे देश के आर्थिक विकास का पता लगा जा सकें।

चूँकि उस समय देश की आर्थिक विकास दर के मापने के कोई तरीक़ा नहीं था इसलिए उस समय देश की बैंकिंग कंपनिया आगे आयी जिसमें फाइनेंसियल इंस्टिट्यूडस और बैंक शामिल थे उन्होंने देश को भरोसा दिलाया कि वह देश के आर्थिक विकास का हिसाब रखेगी और उसे देश के सामने पेश करेगी।

इस तरह देश के आर्थिक विकास मापने का काम बैंकों के हाथों में सोप दिया गया लेक़िन देश के आर्थिक विकास के मापन का कोई स्थायी तरीक़ा नहीं होने के कारण यह व्यवस्था भी देश के आर्थिक विकास का सही आंकलन नहीं कर पाई और इस व्यवस्था में कई खामियां थी।

फिऱ सन 1935-44 के दौरान अमेरिका में सबसे पहले इस शब्द GDP का इस्तेमाल किया गया जिसे अमेरिका के अर्थशात्री साइमन ने अपने देश अमेरिका से रूबरू कराया जिसको अमेरिकी कांग्रेस में प्रस्तुत किया गया औऱ पहली बार GDP का विचार पेेश किया।

1944 में ब्रेटन बुड्स सम्मेलन के बाद विश्व बैंक और अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष के द्वारा अर्थव्यवस्था और इसकी सालाना बढ़ोतरी का पता लगाने के लिए जीडीपी इस्तेमाल किया जाने लगा जिसके बाद यह काफ़ी विख्यात हुए और इस तरह फिऱ देश के आर्थिक विकास को मापने का पैमान GDP बन गया।

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GDP का आकलन कैसे किया जाता है?

How To Calculate GDP? – चार अहम घटकों के ज़रिए जीडीपी का आकलन किया जाता है.

पहला घटक ‘कंजम्पशन एक्सपेंडिचर‘ है. यह गुड्स और सर्विसेज को ख़रीदने के लिए लोगों के कुल ख़र्च को कहते हैं.

दूसरा, ‘गवर्नमेंट एक्सपेंडिचर‘, तीसरा ‘इनवेस्टमेंट एक्सपेंडिचर‘ है और आख़िर में ‘नेट एक्सपोर्ट्स‘ आता है.

जीडीपी का आकलन नोमिनल और रियल टर्म में होता है. नॉमिनल टर्म्स में यह सभी वस्तुओं और सेवाओं की मौजूदा क़ीमतों पर वैल्यू है.

जब किसी बेस ईयर के संबंध में इसे महंगाई के सापेक्ष एडजस्ट किया जाता है, तो हमें रियल जीडीपी मिलती है. रियल जीडीपी को ही हम आमतौर पर अर्थव्यवस्था की ग्रोथ के तौर पर मानते हैं.

जीडीपी के डेटा को आठ सेक्टरों से इकट्ठा किया जाता है. इनमें कृषि, मैन्युफैक्चरिंग, इलेक्ट्रिसिटी, गैस सप्लाई, माइनिंग, क्वैरीइंग, वानिकी और मत्स्य, होटल, कंस्ट्रक्शन, ट्रेड और कम्युनिकेशन, फ़ाइनेंसिंग, रियल एस्टेट और इंश्योरेंस, बिजनेस सर्विसेज़ और कम्युनिटी, सोशल और सार्वजनिक सेवाएँ शामिल हैं.

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जीडीपी निकालने के लिए सूत्र

जीडीपी को मापने के लिए एक फ़ॉर्मूल बनाया गया जिसके इस्तेमाल से आप आसानी से देश का आर्थिक विकास का पता लगा सकते हैं जो इस प्रकार है।

GDP = C + I + G+ (X – M)

C: Consumption(उपभोग) 

यहाँ C का मतलब है Consumption जिसे हिंदी में उपभोग कहते हैं यानी कि देश के लोगों के व्यक्तिगत घरेलू व्यय जैसे भोजन, किराया, चिकित्सा व्यय और इस तरह के घरेलू व्यय को इसके अंदर शामिल किया जाता है परंतु नया घर इसमें शामिल नहीं हैं।

I: Investment(कुल निवेश)

यहाँ I का मतलब हैं Investment जिसे हिंदी में कुल निवेश कहते है देश के घरेलू सीमाओं के अंदर माल और सेवाओं पर सभी संस्थानों द्वारा किये गए कुल खर्च को ही कुल निवेश कहा जाता है।

G: Government Spending(सरकारी खर्च)

यहाँ G का मतलब हैं Government Spending जिसे हिंदी में सरकारी खर्च कहते है जिसमें सरकार द्वारा किये गए सभी प्रकार के खर्च शामिल होते है जैसे – सरकार द्वारा किया गया निवेश, सभी प्रकार के सरकारी कर्मचारियों का वेतन, हथियार वगेरा खरीदना इत्यादि।

X: Export(निर्यात)

यहाँ X का मतलब हैं Export जिसे हिंदी में निर्यात कहते है इसमें देश मे उत्पादन को किसी दूसरे देश के उपभोग के लिए माल और सेवाओं तैयार किया जाता हैं जिसे जीडीपी(GDP) में शामिल किया जाता है।

M: Import(आयात)

यहाँ M का मतलब हैं Import जिसे हिंदी में आयात कहते है आयात से हम उन वस्तुओं और सेवाओं को ऱखते है जिसका उत्पादन हमारे देश की सीमारेखा के अंदर नहीं किया गया है औऱ जीडीपी निकालते समय हम आयात को घटा देते है।

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GDP Formula | Calculate Formula

जीडीपी(GDP)=उपभोग(Consumption)+कुलनिवेश(Investment)+सरकारीखर्च(Gover. Spending)+{निर्यात(Export)-आयात(Import)}

जीडीपी के प्रकार- Type Of GDP

1. वास्तविक जीडीपी(GDP)

वास्तविक जीडीपी में एक आधार वर्ष में कीमतों के मूल्य फिक्स रखकर जीडीपी की गणना की जाती हैं। इस जीडीपी में मूल्य में कोई बदलाव नही किया जाता। वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद को स्थिर मूल्य पर सकल घरेलू उत्पाद की गणना के रूप में भी जाना जाता है हम आपको बता दे कि वर्तमान में भारत का आधारवर्ष 2011-12 है लेकिन CSO (केंद्रीय सांख्यिकी संगठन) इस आधारवर्ष को बदलकर 2017-18 करने पर विचार कर रहा है।

2. नाममात्र जीडीपी(GDP)

नाममात्र जीडीपी वह जीडीपी होती है जिसमे वर्तमान बाजार की कीमतों के आधार पर जीडीपी की गणना की जाती है ना कि केंद्रीय सांख्यिकी संगठन द्वार तय की गई निर्धारित कीमत के आधार पर अगर बात करे आर्थिक विकास की तो नाममात्र जीडीपी की तुलना में वास्तविक जीडीपी देश के आर्थिक विकास को सही प्रदर्शित करती है।

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GDP और GNP में क्या अंतर है?

जब जीडीपी(GDP) की बात करते है तो एक औऱ शब्द जीएनपी(GNP) सुने को मिलता है जिसे बहुत सारे लोगो जीडीपी और जीएनपी को लेकर कंफ्यूज हो जाते है।

जीडीपी सकल घरेलू उत्पाद होता है जबकी जीएनपी सकल राष्ट्रीय उत्पाद होता है। सरल भाषा में कहे तो जीडीपी को इस बात से कोई मतलब नही है कि उत्पादन कौन कर रहा है क्योंकि जीडीपी तो बस यह देखता है कि उत्पादन देश की सीमा के भीतर हो रहा है या नही लेकिन जीएनपी यह सुनिश्चित करता है कि उत्पादन देश के नागरिको द्वारा ही हो।

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आम जनता के लिए GDP क्यों अहम है?

आम जनता के लिए यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सरकार और लोगों के लिए फ़ैसले करने का एक अहम फ़ैक्टर साबित होता है.

अगर जीडीपी बढ़ रही है, तो इसका मतलब यह है कि देश आर्थिक गतिविधियों के संदर्भ में अच्छा काम कर रहा है और सरकारी नीतियाँ ज़मीनी स्तर पर प्रभावी साबित हो रही हैं और देश सही दिशा में जा रहा है.

अगर जीडीपी सुस्त हो रही है या निगेटिव दायरे में जा रही है, तो इसका मतलब यह है कि सरकार को अपनी नीतियों पर काम करने की ज़रूरत है ताकि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में मदद की जा सके.

सरकार के अलावा कारोबारी, स्टॉक मार्केट इनवेस्टर और अलग-अलग नीति निर्धारक जीडीपी डेटा का इस्तेमाल सही फ़ैसले करने में करते हैं.

जब अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन करती है, तो कारोबारी और ज़्यादा पैसा निवेश करते हैं और उत्पादन को बढ़ाते हैं क्योंकि भविष्य को लेकर वे आशावादी होते हैं.

लेकिन जब जीडीपी के आँकड़े कमज़ोर होते हैं, तो हर कोई अपने पैसे बचाने में लग जाता है. लोग कम पैसा ख़र्च करते हैं और कम निवेश करते हैं. इससे आर्थिक ग्रोथ और सुस्त हो जाती है.

ऐसे में सरकार से ज़्यादा पैसे ख़र्च करने की उम्मीद की जाती है. सरकार कारोबार और लोगों को अलग-अलग स्कीमों के ज़रिए ज़्यादा पैसे देती है ताकि वो इसके बदले में पैसे ख़र्च करें और इस तरह से आर्थिक ग्रोथ को बढ़ावा मिल सके.

इसी तरह से नीति निर्धारक जीडीपी डेटा का इस्तेमाल अर्थव्यवस्था की मदद के लिए नीतियाँ बनाने में करते हैं. भविष्य की योजनाएँ बनाने के लिए इसे एक पैमाने के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है.

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जीडीपी क्या है: FAQs

GDP क्या है?

किसी देश की सीमा में एक निर्धारित समय के भीतर तैयार सभी वस्तुओं और सेवाओं के कुल मौद्रिक या बाजार मूल्य को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) कहते हैं. यह किसी देश के घरेलू उत्पादन का व्यापक मापन होता है और इससे किसी देश की अर्थव्यवस्था की सेहत पता चलती है. इसकी गणना आमतौर पर सालाना होती है, लेकिन भारत में इसे हर तीन महीने यानी तिमाही भी आंका जाता है. कुछ साल पहले इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, बैंकिंग और कंप्यूटर जैसी अलग-अलग सेवाओं यानी सर्विस सेक्टर को भी जोड़ दिया गया.

दुनिया के टॉप 5 जीडीपी देश कौन-कौन है?

1. यूनाइटेड स्टेट्स (United States)
2. चीन (China)
3. जापान (Japan)
4. जर्मनी (Germany)
5. भारत (India)

कौन तय करता है GDP?

जीडीपी को नापने की जिम्मेदारी सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के तहत आने वाले सेंट्रल स्टेटिस्टिक्स ऑफिस यानी केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय की है. यह ऑफिस ही पूरे देश से आंकड़े इकट्ठा करता है और उनकी कैलकुलेशन कर जीडीपी का आंकड़ा जारी करता है.

सबसे पहले कब आया था कॉन्सेप्ट?

साल 1654 और 1676 के बीच चले डच और अंग्रेजों के बीच अनुचित टैक्स को लेकर हुई लड़ाई के दौरान सबसे पहले जमीदारों की आलोचना करते हुए विलियम पेट्टी ने जीडीपी जैसी अवधारणा पेश की थी.

जीडीपी का आम लोगों से क्‍या है कनेक्‍शन?

जीडीपी के आंकड़ों का आम लोगों पर भी असर पड़ता है. अगर जीडीपी के आंकड़े लगातार सुस्‍त होते हैं तो ये देश के लिए खतरे की घंटी मानी जाती है. जीडीपी कम होने की वजह से लोगों की औसत आय कम हो जाती है और लोग गरीबी रेखा के नीचे चले जाते हैं. इसके अलावा नई नौकरियां पैदा होने की रफ्तार भी सुस्‍त पड़ जाती है. आर्थिक सुस्‍ती की वजह से छंटनी की आशंका बढ़ जाती है. वहीं लोगों का बचत और निवेश भी कम हो जाता है.

क्या होगा GDP गिरने से?

जीडीपी के कमजोर आंकड़ों के प्रभाव को विस्तार से बताते हुए एक्सपर्ट्स कहते हैं कि यदि वार्षिक जीडीपी दर 5 से गिरकर 4 फीसदी होती है तो प्रति माह आमदनी 105 रुपये कम होगी. यानी एक व्यक्ति को सालाना 1260 रुपये कम मिलेंगे.

अंतिम शब्द

तो दोस्तों आज हमने जीडीपी क्या है से सम्बंधित सारी बातो को विस्तार से जाना है और मैं आशा करता हु की आप सभी को हमारा आज का यह आर्टिकल जरुर से पसंद आया होगा और आप के लिए हेल्पफुल भी होगा.

यदि आप के मन में GDP से सम्बंधित कोई भी प्रश्न है तो निचे कमेंट कर के जरुर पूछे.

आर्टिकल को पूरा पढने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद.

सुधांशु कोडमास्टर के संस्थापक हैं। वह पेशे से एक वेब डिज़ाइनर हैं और साथ ही एक उत्साही ब्लॉगर भी हैं जो हमेशा ही आपको सरल शब्दों में बेहतर जानकारी प्रदान करने के प्रयास में रहते हैं।

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