सरोगेसी क्या है? | Surrogacy Meaning In Hindi

नमस्कार दोस्तों कैसे है आप सभी? मैं आशा करता हु की आप सभी अच्छे ही होंगे. तो दोस्तों आज हम “सरोगेसी क्या है? | Surrogacy Meaning In Hindi” के बारे में विस्तार से जानेंगे.

आज के इस पोस्ट में हम सरोगेसी क्या है, सरोगेसी से मां कैसे बनते हैं, सरोगेसी का कारण, सरोगेसी कानून क्या है, Surrogacy Meaning In Hindi, सरोगेसी के प्रकार, किन स्थितियों में सरोगेसी है बेहतर विकल्प, सरोगेसी का खर्च, सरोगेट मदर, Surrogate Mother Meaning In Hindi, सरोगेसी बिल, आदि के साथ इससे सम्बंधित और भी बहुत सारी बातो के बारे में जानेंगे.

तो चलिए शुरू करते है…

सरोगेसी क्या है? | Surrogacy Meaning In Hindi

सरोगेसी क्या है? | Surrogacy Meaning In Hindi
सरोगेसी क्या है? | Surrogacy Meaning In Hindi

What Is Surrogacy In Hindi – बदलते ज़माने के साथ लोगों की सोच भी बदली है। वही सरोगेसी एक ऐसा वरदान है, उन महिलाओं के लिए जो माँ बनने के सुख से वंचित हैं। लेकिन आखीर यह सरोगेसी क्या है और सरोगेसी से मां कैसे बनते हैं? आइये जानते है.

सेरोगेसी बच्चे पैदा करने की एक नई तकनीक है. इस तकनीक में माता या पिता किसी की भी शारीरिक कमजोरी की वजह से यदि वे बच्चा पैदा करने में परेशानियां हो रही हैं तो वे इसका सहारा ले सकते हैं. सेरोगेसी में किसी महिला की कोख को किराये पर लिया जाता है. कोख किराये पर लेने के बाद आईवीएफ (IVF) के जरिए शुक्राणु को कोख में प्रतिरोपित किया जाता है.

इस पूरी प्रक्रिया में लैब में एग और स्पर्म को मिलाकर भ्रूण तैयार किया जाता है और फिर उसे सरोगेट मदर के गर्भ में डाल दिया जाता है जहां से प्रेग्नेंसी शुरू होती है।

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सरोगेट मदर क्या है? | What is Surrogate Mother in Hindi

सरोगेट मदर क्या है? (What is Surrogate Mother in Hindi?)
Source – surrogate.com

Surrogate Mother Meaning In Hindi – सरोगेसी प्रक्रिया को करने वाली महिला सरोगेट मदर (Surrogate Mother) कहलाती है। सरोगेट मदर बनने का निर्णय पूर्ण रूप से महिला की इच्छा से होता है। किसी भी तरह की जबरदस्ती करके यह फ़ैसला नहीं करवाया जा सकता है।

माता-पिता और सरोगेट माँ के बीच एक अनुबंध किया जाता है कि भ्रूण बनने के बाद से लेकर शिशु के जन्म तक की देख-रेख उनकी निगरानी में होगी। साथ ही बच्चे पर केवल माता-पिता का ही हक होगा। इस प्रक्रिया में माता-पिता को इंटेंडेड पेरेंट्स (Intended Parents) कहा जाता है और यह तीसरा प्रजनन पक्ष (Third Party Reproduction) कहलाता है।

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सरोगेसी के प्रकार | Types Of Surrogacy In Hindi

सरोगेसी दो प्रकार की होती हैः

  1. ट्रेडिशनल सरोगेसीः इस सरोगेसी में सबसे पहले पिता के शुक्राणु को एक दूसरी महिला के अंडाणुओं के साथ निषेचित किया जाता है, जिसमें जेनेटिक संबंध सिर्फ पिता से होता है।
  2. जेस्टेशनल सरोगेसीः इसमें माता-पिता के अंडाणु व शुक्राणुओं का मेल परखनली विधि से करवा कर भ्रूण को सरोगेट मदर की बच्चेदानी में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। इस विधि में बच्चे का जेनेटिक संबंध माता-पिता दोनों से होता है।

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सरोगेसी करवाने के कारण | Reasons For Surrogacy In Hindi

बच्चा पैदा करने के लिए सरोगेसी करवाने के पीछे बहुत से कारण हो सकते हैं। जैसे- मेडिकल कारण, इन्फर्टिलिटी की दिक्कत या फिर कुछ और। यहां जानें उन्हीं 10 कारणों के बारे में जिसकी वजह से सरोगेसी करवाने की जरूरत पड़ती है।

​1. इन्फर्टिलिटी या बांझपन की दिक्कत

इन दिनों हमारी भागती-दौड़ती जिंदगी, गलत लाइफस्टाइल, खानपान का ध्यान न रखना इन सब वजहों से इन्फर्टिलिटी यानी बांझपन की दिक्कत तेजी से बढ़ रही है और कपल्स नैचरल तरीके से गर्भधारण नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में बहुत से पैरंट्स को सरोगेसी करवाने की जरूरत पड़ती है। अगर बार-बार कोशिश करने के बाद भी महिला गर्भवती ना हो पा रही हो तो किसी और की कोख को किराए पर लेकर सरोगेसी के जरिए पैरंट्स बनने का ऑप्शन होता है।

2. अगर महिला के शरीर में यूट्रस ना हो

ऐसे केसेज बेहद कम होते हैं और यह एक रेयर जेनेटिक दिक्कत है लेकिन अगर कभी ऐसा हो कि महिला मां बनना चाहती है लेकिन उसके शरीर में यूट्रस यानी गर्भाशय ही नहीं है तो जाहिर सी बात है कि वह चाहकर भी प्रेग्नेंट नहीं हो पाएगी। 10-12 हजार महिलाओं में से किसी 1 में ऐसा होता है कि उनके शरीर में यूट्रस ना हो। या फिर अगर किसी बीमारी की वजह से यूट्रस को सर्जरी करके निकाल दिया गया हो। ऐसी स्थिति में फैमिली शुरू करने के लिए सरोगेसी करवाने की जरूरत पड़ती है।

3. अगर शारीरिक बनावट से जुड़ी कोई दिक्कत हो

शरीर में यूट्रस ना होना या फिर यूट्रस निकलवा देने से कम गंभीर है ये स्थिति लेकिन कई बार महिलाओं के शारीरिक बनावट में कोई दिक्कत हो सकती है जिस वजह से प्रेग्नेंसी में मुश्किलें आती हैं। कई बार यूट्रस की बनावट में कोई विकृति होती है या फिर फैलोपियन ट्यूब में ब्लॉकेज या ऐसी कोई दिक्कत जिस वजह से महिला के लिए गर्भधारण करना या मां बनना मुश्किल हो या फिर वह पूरे 9 महीने बच्चे को अपने गर्भ में पालने में असमर्थ हो तो ऐसे में सरोगेसी का सहारा लिया जाता है।

​4. अगर उम्र अधिक हो

पुरुषों के साथ ये अडवांटेज होता है कि वे किसी भी उम्र में पिता बन सकते हैं लेकिन एक महिला के नैचरल तरीके से गर्भधारण करने और प्रेग्नेंट होने की संभावनाएं उम्र के साथ घटती जाती हैं। 40 की उम्र आते-आते मेनॉपॉज शुरू होने की उम्र हो जाती है। ऐसे में प्रेग्नेंट होना और भी मुश्किल हो जाता है। हालांकि फर्टिलिटी से जुड़े कई ऑप्शन्स इन दिनों मौजूद हैं जिसकी मदद से महिला 40-50 साल की उम्र में भी प्रेग्नेंट हो सकती है लेकिन इस तरह की प्रेग्नेंसी में रिस्क बहुत ज्यादा होता है। इसलिए अधिक उम्र में मां बनने की सोचने वाली महिलाएं सरोगेसी का सहारा लेती हैं।

​5. अगर हेल्थ से जुड़ी कोई स्थायी समस्या हो

यूट्रस से जुड़ी समस्याओं के अलावा भी कई मेडिकल कंडिशन्स हैं जिसकी वजह से मां बनने में दिक्कत हो सकती है और इसलिए लोग सरोगेसी करवाने के बारे में सोचते हैं। अगर किसी महिला को हार्ट या किडनी से जुड़ी कोई गंभीर बीमारी है तो उसके और होने वाले बच्चे दोनों के लिए ये प्रेग्नेंसी खतरनाक साबित हो सकती है। साथ ही इस तरह की क्रॉनिक बीमारियों में बहुत सारी दवाइयां भी खानी पड़ती है जिसका प्रेग्नेंसी और बच्चे पर बुरा असर पड़ सकता है। इसलिए लोग सरोगेसी का सहारा लेते हैं।

​6. पहली प्रेग्नेंसी में कोई दिक्कत हुई हो

अगर कोई महिला पहले प्रेग्नेंट हो चुकी है और उसकी उस प्रेग्नेंसी में कोई ऐसी गंभीर समस्या हो गई हो जिस वजह से मां और बच्चे दोनों की जान पर खतरा बन आया हो तो दूसरे बच्चे के लिए सरोगेसी का ऑप्शन चुना जा सकता है। अगर डॉक्टर यह बात कह दें कि महिला के दूसरी बार मां बनने पर उसकी जान को खतरा हो सकता है तो सरोगेसी करवायी जाती है। अगर महिला को प्रीक्लैम्प्सिया या सर्वाइकल से जुड़ी कोई गंभीर बीमारी हो तब भी सरोगेसी का ऑप्शन चुना जा सकता है।

7. अगर सेम सेक्स कपल हों

अगर सेम सेक्स कपल हैं तो जाहिर सी बात है कि वह नैचरल तरीके से बच्चे को कंसीव नहीं कर पाएंगे और अगर उन्हें पैरंट्स बनना है तो उन्हें सरोगेसी करवाने की जरूरत पड़ सकती है।

8. सिंगल पैरंट्स के लिए सेरोगेसी का ऑप्शन

बॉलिवुड इंडस्ट्री में करण जौहर, तुषार कपूर, एकता कपूर ऐसे कई सिलेब्रिटीज हैं जो सिंगल पैरंट्स हैं और जिन्होंने सरोगेसी के जरिए पैरंटहुड को अपनाया है। इसी तरह अगर कोई आम इंसान भी सिंगल है और वह पैरंट बनना चाहता है तो उसे बच्चे के लिए सरोगेसी की जरूरत होगी।

9. प्रेग्नेंसी से जुड़ा शारीरिक या मानसिक आघात

अगर किसी महिला को पिछली प्रेग्नेंसी में शारीरिक, मानसिक या इमोशनल किसी भी तरह का कोई ट्रॉमा या आघात हुआ हो तो उसके लिए प्रेग्नेंसी डराने वाला अनुभव हो सकता है। इस तरह की सिचुएशन में सरोगेट मदर को चुनकर बच्चे को जन्म देने का ऑप्शन चुना जाता है। बहुत सी महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान इतनी सारी समस्याएं झेलती हैं फिर चाहे वह शारीरिक दिक्कतें हों या फिर कुछ और कि वे पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर पीटीएसडी का शिकार हो जाती हैं।

​10. आपकी पर्सनल चॉइस हो

ऐसा जरूरी नहीं कि हर बार इन्फर्टिलिटी की वजह से ही सरोगेसी का चुनाव किया जाए। उदाहरण के लिए कई बार बहुत सी महिलाएं अपने करियर या बॉडी फिजिक खराब ना हो इन वजहों से भी मां नहीं बनना चाहतीं लेकिन फैमिली शुरू करना चाहती हैं तो वे अपने पर्सनल चॉइस से सरोगेसी का चुनाव करती हैं।

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सरोगेसी का खर्च | Cost Of Surrogacy In Hindi

भारत में सरोगेसी का खर्च करीब 10 से 25 लाख रुपये के बीच आता है, जबकि विदेशों में इसका खर्च करीब 60 लाख रुपये तक आ जाता है।

कौन बनती हैं सरोगेट मदर?

भारत में सरोगेट मदर्स को ढूंढना उतना मुश्किल भी नहीं है। आमतौर पर 18 से 35 साल तक की गरीब महिलाएं आसानी से सरोगेट मदर बनने के लिए तैयार हो जाती हैं। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान सारा खर्चा बच्चे की चाहत रखने वाला जोड़ा उठाता है, साथ ही एक काॅन्ट्रैक्ट के तौर पर जितना भी उनके बीच तय हो, उतना पैसा दिया जाता है। यह रकम अमूमन 4 से 5 लाख रुपये से कम नहीं होती है। इस पूरी प्रक्रिया को ‘कमर्शियल सरोगेसी’ कहते हैं।

क्या प्रक्रिया में विवाद भी हो सकते है?

कई बार बच्चे को जन्म देने के बाद सरोगेट मदर इमोशनली अपनी कोख में पले बच्चे से इतनी अटैच हो जाती है कि बच्चा देने से मना कर देती है। इसके अलावा यदि जन्म लेने वाली संतान विकलांग निकल जाए या उसमें किसी तरह का दूसरा विकार हो तो इच्छुक दंपत्ति उसे लेने से भी मना कर देते हैं। ऐसी सब बातों को देखते हुए ही सरकार ने सरोगेसी पर एक बिल पास किया है।

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सरोगेसी बिल | Surrogacy Bill

सरोगेसी बिल 2019 के अंतर्गत सरोगेसी की प्रक्रिया और कार्य प्रणाली के लिए अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी। यह कानून ‘कमर्शियल सरोगेसी’ या ‘सरोगेसी’ के लिए मानव भ्रूण की खरीद-फरोख्त पर भी प्रतिबंध लगाता है। इसमें सरोगेसी क्लीनिक के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया गया है। बिल के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर कम से कम दस साल की जेल और 10 लाख रुपए जुर्माना भी है।

यह विधेयक विवाहित भारतीय जोड़ों के लिए सिर्फ नैतिक परोपकारी सरोगेसी की अनुमति देता है। यानि जो भी महिला किसी दूसरे के बच्चे को जन्म देने के लिए तैयार हो वो इस काम को कमाई का जरिया मानकर नहीं, बल्कि दूसरे की मदद करने के इरादे से करे। इसके लिए महिला की उम्र 23-50 और पुरुष की उम्र 26-55 वर्ष के बीच होनी चाहिए। परोपकारी सरोगेसी यानि ऐसी ऐसी प्रेगनेंसी जिसमें दवाओं और दूसरे मेडिकल खर्च के अलावा पैसे का कोई लेन-देन शामिल न हो।

सरोगेसी बिल यह भी कहता है कि सरोगेट मदर को लाभार्थी की करीबी रिश्तेदार होना चाहिए। वह भी ऐसी महिला जिसकी शादी हो चुकी हो और उसका खुद का बच्चा भी हो। उसकी उम्र 25-35 के बीच होनी चाहिए। कोई भी महिला सिर्फ एक बार ही सरोगेट मदर बन सकती है। 

विधेयक में सरोगेसी के जरिए पैदा होने वाले बच्चे का ‘परित्याग’ यानि बच्चा लेने से मना करने की प्रक्रिया को रोकने का भी प्रावधान है। अधिनियम बच्चे के वह सारे अधिकार भी सुनिश्चित करता है, जो किसी जैविक पुत्र के जन्म के साथ से ही होते हैं। 

कैबिनेट से ‘पास सरोगेसी रेगुलेशन बिल 2019’ में यह साफ है कि अविवाहित पुरुष या सिंगल महिला, लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़े और समलैंगिक जोड़े सरोगेसी के लिए आवेदन नहीं कर सकते हैं। वहीं, अब सिर्फ रिश्तेदारी में मौजूद महिला ही सरोगेसी के जरिए मां बन सकती है।

क्यों लाया गया सरोगेसी बिल?

विधेयक कहता है कि कानून के बगैर सरोगेसी एक अनियंत्रित कमर्शियल पेशा जैसा बन जाएगा। सरोगेट मांओं का शोषण हो सकता है, अनैतिक कार्य होंगे। इस प्रक्रिया के जरिए पैदा हुए बच्चों को छोड़ा जा सकता है। सरोगेसी के लिए मानव भ्रूण और अंडाणु या शुक्राणुओं की खरीद-बिक्री भी हो सकती है। कानून आयोग की सिफारिश पर यह प्रस्ताव लाया गया है, जो सरोगेट मांओं और बच्चों के अधिकारों को सुरक्षा प्रदान करता है।

सरोगेसी क्या है?: FAQs

सरोगेसी क्या है?

सरोगेसी का मतलब है ‘किराये की कोख’, यानी किसी दूसरी स्त्री की कोख में अपना बच्चा पालना. जो महिला अपनी कोख में किसी दूसरे कपल का बच्चा पालती है, उसे ‘सरोगेट मदर’ कहते हैं. कॉमर्शियल सरोगेसी के जरिये अपनी कोख से दूसरों का बच्चा जन्म देने के लिए उस सरोगेट मदर को पैसे मिलते हैं.

सरोगेसी से मां कैसे बनते हैं?

सेरोगेसी में किसी महिला की कोख को किराये पर लिया जाता है. कोख किराये पर लेने के बाद आईवीएफ (IVF) के जरिए शुक्राणु को कोख में प्रतिरोपित किया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया में लैब में एग और स्पर्म को मिलाकर भ्रूण तैयार किया जाता है और फिर उसे सरोगेट मदर के गर्भ में डाल दिया जाता है जहां से प्रेग्नेंसी शुरू होती है।

सरोगेसी कानून क्या है?

सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, 2020 का उद्देश्य व्यावसायिक सरोगेसी पर प्रतिबंध लगाना और परोपकारी सरोगेसी की अनुमति देना है। मानव भ्रूण की बिक्री और खरीद सहित वाणिज्यिक सरोगेसी निषिद्ध होगी और निःसंतान दंपतियों को नैतिक सरोगेसी की शर्तों को पूरा करने पर ही सेरोगेसी की अनुमति दी जाएगी।

सरोगेसी में कितना खर्चा आता है?

भारत में सरोगेसी का खर्च करीब 10 से 25 लाख रुपये के बीच आता है, जबकि विदेशों में इसका खर्च करीब 60 लाख रुपये तक आ जाता है।

सरोगेट माँ कैसे गर्भवती होती है?

“इन विट्रो फर्टिलाइजेशन” (आई वी एफ) तकनीक की मदद से माँ के अंडे को पिता के शुक्राणु के साथ लैब में निषेचित किया जाता है और निषेचित अंडे यानि भ्रूण को एक सरोगेट महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है।

क्या सरोगेट माँ के डी एन ए का अंश बच्चे में मौजूद होगा?

बच्चे में सरोगेट माँ का कोई डी एन ए मौजूद नहीं होगा। हालाँकि, यह निर्भर करेगा सरोगेसी के प्रकार पर, इसलिए सरोगेसी यात्रा शुरू करने से पहले, सरोगेसी के प्रकारों के बीच के अंतर को समझना महत्वपूर्ण है।

क्या बच्चे सरोगेट माँ की तरह दिखते हैं?

यह निर्भर करता है सरोगेसी के प्रकार पर की बच्चा सरोगेट माँ की तरह दिखेगा या नहीं। ट्रेडिशनल सरोगेसी के मामले में बच्चा सरोगेट माँ की तरह दिख सकता है, और जेस्टेशनल सरोगेसी के मामले में बच्चा सरोगेट माँ की तरह नहीं दिखता है।

अंतिम शब्द

तो दोस्तों आज हमने सरोगेसी क्या है? | Surrogacy Meaning In Hindi के बारे में विस्तार से जाना है और मैं आशा करता हु की आप सभी को आज का यह पोस्ट जरुर से पसंद आया होगा और आप के लिए हेल्पफुल भी होगा.

यदि अभी भी आपके मन में सरोगेसी को लेकर कोई भी सवाल है तो निचे कमेंट कर के जरुर पूछे.

आर्टिकल को पूरा पढने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद.

सुधांशु कोडमास्टर के संस्थापक हैं। वह पेशे से एक वेब डिज़ाइनर हैं और साथ ही एक उत्साही ब्लॉगर भी हैं जो हमेशा ही आपको सरल शब्दों में बेहतर जानकारी प्रदान करने के प्रयास में रहते हैं।

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