जल संभर प्रबंधन क्या है और यह जल समस्या को किस प्रकार सुलझा सकता है?

जल संभर प्रबंधन क्या है
जल संभर प्रबंधन क्या है

नमस्कार दोस्तों कैसे है आप सभी? मैं आशा करता हु की आप सभी अच्छे ही होंगे. तो दोस्तों आज हम जल संभर प्रबंधन क्या है (What Is Water Supply Management) के बारे में विस्तार से जानेंगे.

आज के इस पोस्ट में हम जल संभर प्रबंधन (Water Supply Management) क्या है और यह भारत के जल समस्या को किस प्रकार सुलझा सकता है, इसके बारे में विस्तार से समझने की कोशिश करेंगे.

तो चलिए शुरू करते है…

जलसम्भर से क्या तात्पर्य है?

जलसंभर या द्रोणी उस भौगोलिक क्षेत्र को कहते हैं जहाँ वर्षा अथवा पिघलती बर्फ़ का पानी नदियों, नहरों और नालों से बह कर एक ही स्थान पर एकत्रित हो जाता है। उस स्थान से या तो एक ही बड़ी नदी में पानी जलसंभर क्षेत्र से निकास कर के आगे बह जाता है, या फिर किसी सरोवर, सागर, महासागर या दलदली इलाक़े में जा के मिल जाता है।

इस सन्दर्भ में कभी-कभी जलविभाजक शब्द का भी प्रयोग होता है क्योंकि भिन्न-भिन्न जलसंभर किसी भी विस्तृत क्षेत्र को अलग-अलग जल मंडलों में विभाजित करते हैं। जलसंभर खुले या बंद हो सकते हैं। बंद जलसंभारों में पानी किसी सरोवर या सूखे सरोवर में जा कर रुक जाता है।

जो बंद जलसंभर शुष्क स्थानों पर होते हैं उनमें अक्सर जल आ कर गर्मी से भाप बनकर हवा में वाष्पित (इवैपोरेट) हो जाता है या उसे धरती सोख लेती है।

पड़ौसी जलसंभर अक्सर पहाड़ों, पर्वतों या धरती की भिन्न ढलानों के कारण एक-दुसरे से विभाजित होते हैं। भौगोलिक दृष्टि से जलसंभर एक कीप (यानि फनल) का काम करते हैं क्योंकि वे एक विस्तृत क्षेत्र के पानी को इक्कठा कर के एक ही नदी, जलाशय, दलदल या धरती के भीतर पानी सोखने वाले स्थान पर ले जाते हैं।

जल संभर प्रबंधन क्या है?

जल संभर प्रबंधन से तात्पर्य, मुख्य रूप से, धरातलीय और भौम जल संसाधनों के दक्ष प्रबंधन से है। इसके अंतर्गत बहते जल को रोकना और विभिन्न विधियों, जैसे- अंत:स्रवण तालाब, पुनर्भरण, कुओं आदि के द्वारा भौम जल का संचयन और पुनर्भरण शामिल हैं। इसके अंतर्गत सभी संसाधनों प्राकृतिक (जैसे भूमि, जल, पौधे और प्राणियों) और जल संभर सहित मानवीय संसाधनों के संरक्षण, पुनरुत्पादन और विवेकपूर्ण उपयोग को सम्मिलित किया जाता है। 

जल-संभर प्रबंधन सतत पोषणीय विकास में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता हैं। इसका मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों और समाज के बीच संतुलन लाना है। केंद्रीय और राज्य सरकारों ने देश में अनेक जल-संभर विकास और प्रबंधन कार्यक्रम चलाए हैं।

इन कार्यक्रमों में ‘नीरू-मीरू’ और ‘अरवारी पानी’ संसद कार्यक्रम प्रमुख हैं जिनके अंतर्गत लोगों के सहयोग ने विभिन्न जल संग्रहण संरचनाएं जैसे- तालाब की खुदाई व बाँध बनाए गए हैं। तमिलनाडु राज्य में जल संग्रहण संरचना जिसके द्वारा जल का संग्रहण किया जाता है, को आवश्यक कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त ‘हरियाली केंद्र’ सरकार द्वारा चलाई गई जल-संभर विकास परियोजना है। इस परियोजना का उद्देश्य ग्रामीण लोगों को पीने, सिंचाई तथा मत्स्य पालन के लिए जल संरक्षण के योग्य बनाना है। 

अन्य क्षेत्रों में भी जल-संभर विकास योजना पर्यावरण और अर्थव्यवस्था की काया पलट ने में सफल हुई है। आवश्यकता इस योजना के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने की है और इसकी जल संसाधन प्रबंधन उपागम द्वारा जल उपलब्धता सतत पोषणीय आधार पर की जा सकती है।

जल संभर प्रबंधन का प्रमुख उद्देश्य क्या है?

जल संभर प्रबंधन में मिट्टी एवं जल संरक्षण पर जोर दिया जाता है ताकि ‘जैव-मात्रा’ उत्पादन में वृद्धि हो सके। इसका प्रमुख उद्देश्य भूमि एवं जल के प्राथमिक स्रोतों का विकास, द्वितीय संसाधन पौधों एवं जंतुओं का उत्पादन इस प्रकार करना जिससे पारिस्थतिक असुंतलन पैदा न हो।

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जल संभर प्रबंधन से लाभ

जल संभर प्रबंधन के द्वारा लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं-

  1. पीने और सिंचाई के लिए जल की आपूर्ति,
  2. जैव विविधता में वृद्धि,
  3. जलाक्रान्त तथा लवणता का ह्रास,
  4. कृषि उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि,
  5. वनों के कटाव में कमी,
  6. जीवन स्तर उठना,
  7.  रोजगार में वृद्धि,
  8. स्थानीय लोगों की सहभागिता से आपसी मेल-जोल बढ़ना।

जल संभर प्रबंधन से अपेक्षित परिणाम

 जल संभर प्रबंधन परियोजना से अभी तक इच्छित परिणाम नहीं मिल सके हैं। जबकि भारत सरकार 2000 तक विभिन्न मंत्रालयों के माध्यमों से जल संभर प्रबंधन कार्यक्रमों में 2 अरब डालर खर्च कर चुकी है। इसके लिए निम्नकारक उत्तरदाई हैं-

  1. वैज्ञानिक सोच का अभाव,
  2. तकनीकी कमियाँ,
  3. स्थानीय लोगों के सहयोग की कमी,
  4. विभिन्न विभागों के बीच आपसी सहयोग का अभाव तथा
  5. पृथक मंत्रालय का न होना।

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नदी संयोजन

देश के विस्तृत क्षेत्र सूखा तथा बाढ़ से पीड़ित रहते हैं। सूखा और बाढ़ एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। इस समस्या के हल के लिए 1982 में ‘राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण’ का गठन किया गया।

इसके गठन का मुख्य उद्देश्य ‘राष्ट्रीय जल के जाल’ की पहचान करना मात्रा था। अंतत: राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण ने 30 नदी जुड़ावों की पहचान की है। इस कार्यक्रम में बड़ी नदियों को प्रमुखता से शामिल किया गया है। अभिकरण ने 6 जुड़ाव स्थलों पर काम करने की संस्तुति की है तथा तीन चरणों में उन्हें पूरा करने की बात कही है।

प्रथम चरण में प्रमुख प्रायद्वीपीय नदियों-महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी को शामिल किया गया है।

द्वितीय चरण के अंतर्गत प्रायद्वीपीय भारत की छोटी-छोटी नदी द्रोणियों को एक दूसरे से जोड़ने की बात रखी गई है, जिसमें केन-बेतवा तथा पार-तापी नदियाँ शामिल हैं।

तृतीय चरण में गंगा और ब्रह्मपुत्रा की सहायक नदियों को एक दूसरे से जोड़ने का प्रावधान रखा है।

नदी संयोजन से लाभ

  • नदी द्रोणियों को आपस में जोड़ने से बहुमुखी विकास संभव है।
  • इस कार्यक्रम की सफलता से पृष्ठीय जल द्वारा 250 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त कृषि क्षेत्र पर सिंचाई संभव हो सकेगी।
  • 100 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त कृषि क्षेत्र को सिंचाई के लिए भूमिगत जल उपलब्ध हो सकेगा।
  • अंतत: सिंचित क्षेत्र 1130 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 1500 लाख हेक्टेयर हो जाएगा।
  • 340 लाख कि.वा. अतिरिक्त जल विद्युत का निर्माण हो सकेगा।

इन लाभों के अतिरिक्त कई और भी लाभ मिल सकेंगे जैसे बाढ़ नियंत्राण, जल परिवहन, जलापूर्ति, मत्स्यन, क्षारीयपन का दूर होना तथा जल प्रदूषण नियंत्रण शामिल हैं। परन्तु इन सभी लाभों को सहज प्राप्त नहीं किया जा सकता।

ये परियोजनाएं बहुत ही व्यय साध्य एवं समय साध्य हैं। ऐसा अनुमान लगाया गया है कि इन परियोजनाओं को पूरा करने के लिए 560 हजार करोड़ रुपये की विशाल धन राशि की आवश्यकता होगी।

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अंतिम शब्द

तो दोस्तों आज हमने जल संभर प्रबंधन क्या है (What Is Water Supply Management) के बारे में विस्तार से जाना और मैं आशा करता हु की आप सभी को आज का यह आर्टिकल जरुर से पसंद आया होगा और आप के लिए हेल्पफुल भी हगा.

दोस्तों “जल ही जीवन है” और इस जल को संरक्षित करना हम इंसानों का कर्त्तव्य बनता है तो अपने कर्त्तव्य को निभाए और एक अच्छे नागरिक की तरह देश की उन्नति में साथ दे.

आर्टिकल को पूरा पढने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद.

सुधांशु कोडमास्टर के संस्थापक हैं। वह पेशे से एक वेब डिज़ाइनर हैं और साथ ही एक उत्साही ब्लॉगर भी हैं जो हमेशा ही आपको सरल शब्दों में बेहतर जानकारी प्रदान करने के प्रयास में रहते हैं।

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