OSI Model क्या है? | Layers Of OSI Model In Hindi

OSI Model In Hindi – नमस्कार दोस्तों! कैसे है आप सभी? मैं आशा करता हु की आप सभी अच्छे ही होंगे. दोस्तों यदि आप एक Networking के क्षात्र है तो आपने ओएसआई मॉडल (OSI Model) के बारे में तो सुना ही होगे. पर क्या आप को पता है की OSI Model क्या है और सात Layers कौन-कौन से है? यदि नहीं पता तो इस आर्टिकल को पढ़ते रहे क्योंकि आज मैं आपको OSI Model क्या है (OSI Model In Hindi) के बारे में सारी जानकारी देने वाला हूँ.

OSI Model क्या है? | OSI Model In Hindi

दोस्तों क्या आप जानते है की OSI Model Kya Hai? यदि नहीं जानते तो मैं आप को बता दू की OSI Model का पूरा नाम (OSI Full Form) Open Systems Interconnection है इसे ISO (International Organization for Standardization) ने 1978 में विकसित किया था और इस मॉडल में 7 Layers होती है।

OSI Model क्या है? | Layers Of OSI Model In Hindi
OSI Model क्या है? | Layers Of OSI Model In Hindi

ओएसआई मॉडल किसी नेटवर्क में दो यूज़र्स के मध्य कम्युनिकेशन के लिए एक Reference मॉडल है। इस मॉडल की प्रत्येक लेयर दूसरे लेयर पर निर्भर नही रहती है लेकिन एक लेयर से दूसरे लेयर में डेटा का ट्रांसिमिशन होता है।

OSI Model यह describe करता है कि किसी नेटवर्क में डेटा या सूचना कैसे send तथा receive होती है। OSI मॉडल के सभी layers का अपना अलग-अलग task होता है जिससे कि डेटा एक सिस्टम से दूसरे सिस्टम तक आसानी से पहुँच सके। OSI मॉडल यह भी Describe करता है कि नेटवर्क हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर एक साथ लेयर के रूप में कैसे कार्य करते है।

OSI Model को सरल शब्दों में समझने के लिए निम्नलिखित बिंदुओं को ध्यान से पढ़ें:

  • OSI का मतलब ओपन सिस्टम इंटरकनेक्शन है। यह एक संदर्भ मॉडल है, जो बताता है कि कैसे एक कंप्यूटर पर एक सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन से जानकारी एक भौतिक माध्यम से दूसरे कंप्यूटर पर एक सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन में स्थानांतरित की जाती है।
  • OSI मॉडल में 7 परतें होती हैं, और प्रत्येक परत एक विशिष्ट नेटवर्क फ़ंक्शन करती है।
  • OSI मॉडल को 1984 में अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (ISO) द्वारा विकसित किया गया था, और अब इसे इंटर-कंप्यूटर संचार के लिए एक वास्तुशिल्प मॉडल के रूप में जाना जाता है।
  • OSI मॉडल पूरे कार्य को सात छोटे और प्रबंधनीय कार्यों में विभाजित करता है। प्रत्येक परत को एक विशिष्ट कार्य सौंपा गया है।
  • प्रत्येक परत स्व-निहित है, इसलिए प्रत्येक परत को सौंपा गया कार्य स्वतंत्र रूप से किया जा सकता है।

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OSI Model की विशेषताएं (Features of OSI Model In Hindi)

  1. OSI मॉडल को दो परतों में बांटा गया है: ऊपरी परत और निचली परतें।
  2. OSI मॉडल की ऊपरी परतें मुख्य रूप से एप्लिकेशन से संबंधित समस्याओं से संबंधित हैं, और उन्हें केवल सॉफ्टवेयर में ही लागू किया जाता है। एप्लिकेशन परत अंतिम उपयोगकर्ता के सबसे करीब है। एंड यूज़र और एप्लिकेशन लेयर दोनों ही सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन के साथ इंटरैक्ट करते हैं।
  3. OSI मॉडल की निचली परतें डेटा परिवहन समस्याओं से संबंधित हैं। हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर में डेटा लिंक लेयर और फिजिकल लेयर को लागू किया जाता है। भौतिक परत OSI मॉडल की सबसे निचली परत है और भौतिक माध्यम के सबसे निकट है। भौतिक स्तर पर सूचना रखने के लिए भौतिक परत मुख्य रूप से जिम्मेदार है।

OSI Model के लाभ (Advantages Of OSI Model In Hindi)

इसके फायदे इस प्रकार हैं:-

  1. यह एक सामान्य मॉडल है और इसे मानक मॉडल माना जाता है।
  2. ओएसआई मॉडल की परतें सेवाओं, इंटरफेस और प्रोटोकॉल के लिए बहुत विशिष्ट हैं।
  3. यह एक बहुत ही लचीला मॉडल है क्योंकि इसमें कोई भी प्रोटोकॉल लागू किया जा सकता है।
  4. यह कनेक्शन ओरिएंटेड और कनेक्शन लेस सर्विस दोनों को सपोर्ट करता है।
  5. इसमें डिवाइड एंड कॉनकॉन तकनीक का उपयोग किया जाता है ताकि सभी सेवाएं अलग-अलग परतों में काम करें। इसके कारण OSI मॉडल को प्रशासित करना और बनाए रखना आसान हो जाता है।
  6. एक परत में बदल जाने पर भी दूसरी परत पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
  7. यह बहुत ही सुरक्षित और अनुकूलनीय है।

OSI Model की हानियाँ (Disadvantages Of OSI Model In Hindi)

इसके नुकसान इस प्रकार हैं:-

  1. यह किसी विशेष प्रोटोकॉल को परिभाषित नहीं करता है।
  2. इसमें नए प्रोटोकॉल को लागू करना कभी-कभी मुश्किल होता है क्योंकि यह मॉडल इन प्रोटोकॉल के आविष्कार से पहले बनाया गया था।
  3. सेवाओं का दोहराव है जैसे परिवहन और डेटा लिंक परत दोनों में त्रुटि नियंत्रण विधि है।
  4. ये सभी परतें एक दूसरे पर अन्योन्याश्रित हैं।

ओएसआई मॉडल की लेयर्स (OSI Model Layers In Hindi)

OSI Model में 7 लेयर होती है:

OSI Model Layers In Hindi
Layers Of OSI Model In Hindi

OSI Model में Network/Data Communication को सात Layers में Defined किया जाता है. इन सातों Layers को तीन Groups में बाटा जाता है:

  • Network
  • Transport
  • Application

दोस्तों अभी तक आपने OSI Model In Hindi के बारे में जाना है और अब हम OSI Model Layers In Hindi के बारे में विस्तार से जानने जा रहे है.

1. Physical Layer

OSI मॉडल में physical Layer सबसे फर्स्ट लेयर है। इस लेयर को Bit unit भी कहा जाता है। यह लेयर फिजिकल तथा इलेक्ट्रिकल कनेक्शन के लिए Responsible रहता है जैसे: – वोल्टेज, डेटा रेट्स आदि। इस लेयर में Digital signal, Electrical signal में बदल जाते है। इस लेयर में नेटवर्क के लेआउट अर्थात नेटवर्क की टोपोलॉजी का कार्य भी होता है।फिजिकल लेयर यह भी describe करती है कि कम्युनिकेशन वायरलेस होगा या वायर्ड।

Physical Layer के कार्य:

  • Physical layer यह Define करती है कि दो या दो से ज्यादा Devices आपस में Physically कैसे Connect होती है.
  • इसके द्वारा यह डिफाइन किया जाता है कि नेटवर्क में दो Devices के मध्य Simplex, Half-Duplex, या Full Duplex में से कौन सा Transmission Mode होगा.
  • यह Information को ट्रांसमिट करने वाले सिग्नल को निर्धारित करता है.
  • यह Network Devices को व्यवस्थित करने के तरीके को परिभाषित करता है।

2. Data link Layer

OSI Model में Data link layer सेकंड लेयर है। इस लेयर को Frame unit भी कहा जाता है। इस लेयर में Network Layer द्वारा भेजे गए डेटा के packets को decode तथा encode किया जाता है तथा यह लेयर यह भी confirm करता है कि डेटा के ये पैकेट्स Error free हो। इस layer में डेटा ट्रांसमिशन के लिए दो प्रोटोकॉल प्रयोग होते है|

  • High-level data link control (HDLC)
  • PPP (Point-to-Point Protocol)

Data link Layer के कार्य:

  • यह लेयर, Physical Raw Bit Stream को Packets में Translate करती है. इन Packets को हम Frames कहते है और यह Layer इन Frames में Header और Trailer को Add करती है.
  • इसका मुख्य कार्य Flow Control करना है. इसमें Receiver और Sender दोनों तरफ से एक नियत Data Rate को Maintain किया जाता है. जिससे कि कोई भी Data Corrupt ना हो.
  • यह Error को भी Control करता है. इसमें Trailer के साथ Crc (Cyclic Redundancy Check) को Add किया जाता है जिससे डेटा में कोई Error ना आये.
  • जब दो या दो से अधिक Devices एक Communication Channel से जुडी रहती है तब यह Layer यह निर्धारित करती है कि किस डिवाइस को Access दिया जाए.

3. Network Layer

नेटवर्क लेयर OSI Model की थर्ड लेयर है इस लेयर को Packet Unit भी कहा जाता है। इस लेयर में Switching तथा Routing Technique का प्रयोग किया जाता है। इसका कार्य I.P. Address Provide कराना है। नेटवर्क लेयर में जो डेटा होता है वह पैकेट्स के रूप में होता है और इन पैकेट्स को Source से Destination तक पहुँचाने का काम नेटवर्क लेयर का होता है।

Network Layer के कार्य:

  • नेटवर्क लेयर की मुख्य जिम्मेदारी Inter-networking की होती है. यह अलग-अलग Devices में Logical Connection उपलब्ध करवाती है.
  • यह Frame के Header में Source और Destination Address को Add करती है. Address का इस्तेमाल इन्टरनेट में Devices को Identify करने के लिए किया जाता है.
  • इस Layer का काम Routing का भी है. यह सबसे अच्छे Path (रास्ते) को निर्धारित करती है.

4. Transport Layer

ट्रांसपोर्ट लेयर OSI Model की फोर्थ लेयर है। इसे Segment Unit भी कहा जाता है। ये Layer Data के Reliable Transfer के लिए Responsible होती है। अर्थात Data Order में और Error Free पहुंचे ये इसी Layer की जिम्मेदारी होती है। Transport Layer 2 तरह से Communicate करती है Connection-less और Connection Oriented।

यह Layer 4 है यह सुनिश्चित करती है कि Messages उसी क्रम में Transmit हो जिसमें उन्हें Sent किया जाता है और Data का Duplication न हो। इस Layer को End-to-end Layer के रूप में जाना जाताहै क्योंकि यह Data को Deliver करने के लिए Source और Destination के बीच Point-to-point Connection प्रदान करता है।

Transport Layer के कार्य:

  • Transport Layer का मुख्य कार्य Data को एक कंप्यूटर से दूसरे Computer तक Transmit करना है.
  • जब यह Layer उपरी Layers से Message को Recieve करती है तो यह Message को बहुत सारें Segments में विभाजित कर देती है. और प्रत्येक Segment का एक Sequence Number होता है जिससे प्रत्येक Segment को आसानी से Identify किया जा सके.
  • यह दो प्रकार की Service प्रदान करती है:- Connection Oriented और Connection Less.
  • यह Flow Control और Error Control दोनों प्रकार के कार्यों को करती है.

5. Session Layer

सेशन लेयर OSI Model की पांचवी लेयर है जो कि बहुत सारें कंप्यूटरों के मध्य कनेक्शन को नियंत्रित करती है।

सेशन लेयर दो डिवाइसों के मध्य कम्युनिकेशन के लिए सेशन उपलब्ध कराता है अर्थात जब भी कोई यूजर कोई भी वेबसाइट खोलता है तो यूजर के कंप्यूटर सिस्टम तथा वेबसाइट के सर्वर के मध्य तक सेशन का निर्माण होता है।

आसान शब्दों में कहें तो सेशन लेयर का मुख्य कार्य यह देखना है कि किस प्रकार कनेक्शन को Establish, Maintain तथा Terminate किया जाता है।

Session Layer के कार्य:

  • Session Layer एक Dialog Control के रूप में कार्य करती है जो दो Processes के बीच एक Dialog बनाता है या हम कह सकते हैं कि यह दो Processes के बीच Communication की अनुमति देता है जो या तो Half-duplex या Full-duplex हो सकता है।
  • किसी Sequence में Data Transmit करते समय Session Layer कुछ Checkpoints को जोड़ती है। यदि Data के Transmission के बीच में कोई Error आती है, तो Checkpoint से फिर से Transmission होगा। इस Process को Synchronization और Recovery के रूप में जाना जाता है।

6. Presentation Layer

Presentation Layer OSI Model की छठी लेयर है। यह लेयर ऑपरेटिंग सिस्टम से सम्बंधित है। इस लेयर का प्रयोग डेटा के Encryption तथा Decryption के लिए किया जाता है। इसे डेटा Compression के लिए भी प्रयोग में लाया जाता है। Presentation Layer मुख्य रूप से दो Systems के बीच आदान-प्रदान की गई जानकारी के Syntax और Semantics से संबंधित है।

यह एक Network के लिए Data Translator के रूप में कार्य करता है। यह Layer Operating System का एक हिस्सा है जो Data को एक प्रस्तुति प्रारूप(Presentation Format) से दूसरे प्रारूप(Format) में परिवर्तित करता है।

Presentation Layer को Syntax Layer के रूप में भी जाना जाता है।

Presentation Layer के कार्य:

  • दो Systems में होने वाली Processes Information को Character Strings, संख्याओं (Number) आदि के रूप में आदान-प्रदान करती हैं। विभिन्न कंप्यूटर विभिन्न Encoding Methods का उपयोग करते हैं, Presentation Layer विभिन्न Encoding Methods के बीच अंतर को Handle करती है। यह Sender-dependent Format से Data को एक Common Format में परिवर्तित करती है और Receiving End पर Common Format को Receiver-dependent Format में परिवर्तित करती है।
  • गोपनीयता (Privacy) बनाए रखने के लिए Encryption की आवश्यकता होती है। Encryption Sender-transmitted Information को दूसरे रूप में परिवर्तित करने की एक प्रक्रिया है और यह Network पर परिणामी संदेश(Resulting Message) को भेजता है।
  • Data Compression Data को संपीड़ित(Compress) करने की एक प्रक्रिया है, अर्थात, यह Transmit होने वाले Bits की संख्या को कम करता है। Multimedia में Text, Audio, Video जैसा Data Compression बहुत महत्वपूर्ण है।

7. Application Layer

Application Layer OSI Model की लास्ट लेयर है। एप्लीकेशन लेयर का मुख्य कार्य हमारी वास्तविक एप्लीकेशन तथा अन्य Layers के मध्य Interface कराना है। Application Layer End User के सबसे नजदीक होती है। Application Layer यह Control करती है कि कोई भी एप्लीकेशन किस प्रकार नेटवर्क को Access करती है।

Application Layer Network Service का उपयोग करने के लिए Users और Application Processes के लिए एक Window के रूप में कार्य करती है। यह नेटवर्क पारदर्शिता, संसाधन आवंटन(Network Transparency, Resource Allocation) आदि जैसे Issues को Handle करती है। Application Layer कोई Application नहीं है, यह एक Layer है जो कुछ Functions को Perform करती है. यह Layer End-Users को Network Services प्रदान करती है।

Application Layer के कार्य:

  • Application Layer के द्वारा यूजर Remote Computer से Files को Access कर सकता है और Files को Retrieve कर सकता है.
  • यह Email को Forward और स्टोर करने की सुविधा भी देती है.
  • इसके द्वारा हम डेटाबेस से Directory को Access कर सकते हैं.

OSI Layers को कैसे याद रखें?

इन OSI Layers को याद रखना सच में इतना आसान नहीं है लेकिन अगर आप एक Mnemonic का इस्तमाल करें तब ये बहुत ही आसान हो जाता है. जो की है: “All People Seem to Need Data Processing“.

  • Physical Layer – Processing
  • Data Link Layer – Data
  • Network Layer – Need
  • Transport Layer – To
  • Session Layer – Seem
  • Presentation Layer – People
  • Application Layer – All

OSI Model In Hindi: FAQs

1. OSI Model की स्थापना कब की गयी?

Open Systems Interconnection (OSI) Model को सन 1984 में ISO (International organization for standardization) ने Develop किया. ISO वो Organization है जो की पूरी तरह से Dedicated होता है ऐसे Global Communication और Standards को Define करने के लिए.

2. इस Model को OSI क्यूँ कहा जाता है?

इस Model को Open System Interconnection (OSI) इसलिए कहा जाता है क्यूंकि यह Model Allow करता है किसी दो अलग अलग Systems को Communicate करने में, फिर चाहे उनकी Underlying Architecture कुछ भी क्यूँ न हो.

Final Words

तो दोस्तों आज हमने OSI Model क्या है (OSI Model In Hindi) और Layers Of OSI Model In Hindi के बारे में विस्तार से जाना है और मैं आशा करता हु की आप को यह जानकारी पसंद आई होगी.

यदि आपके मन में OSI Model क्या है (OSI Model In Hindi) से सम्बंधित कोई भी प्रश्न या सलाह है तो हमे कमेंट कर के जरुर बताये.

और यदि आप को इस पोस्ट से थोड़ी भी जानकारी मिली हो तो इसे अपने सभी दोस्तों के साथ भी जरुर से शेयर करे. आर्टिकल को पढने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद.

सुधांशु कोडमास्टर के संस्थापक हैं। वह पेशे से एक वेब डिज़ाइनर हैं और साथ ही एक उत्साही ब्लॉगर भी हैं जो हमेशा ही आपको सरल शब्दों में बेहतर जानकारी प्रदान करने के प्रयास में रहते हैं।

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