नमस्कार दोस्तों कैसे है आप सभी? मैं आशा करता हु की आप सभी अच्छे ही होंगे. तो दोस्तों आज हम “पारितंत्र क्या है? | Ecosystem Meaning In Hindi” के बारे में विस्तार से जानेंगे.
आज के इस पोस्ट में हम पारितंत्र क्या है, पारितंत्र के घटक, पारितंत्र के प्रकार, पारितंत्र के कार्य, आदि के साथ और भी बहुत सारे जरुरी बातो के बारे में जानेंगे.
तो चलिए शुरू करते है…
पारितंत्र क्या है? | Ecosystem Meaning In Hindi

Ecosystem Kya Hai? – पारितंत्र (Ecosystem) या पारिस्थितिक तंत्र (Ecological System) एक प्राकृतिक इकाई है जिसमें एक क्षेत्र विशेष के सभी जीवधारी, अर्थात् पौधे, जानवर और अणुजीव शामिल हैं जो कि अपने अजैव पर्यावरण के साथ अंतर्क्रिया करके एक सम्पूर्ण जैविक इकाई बनाते हैं।
इस प्रकार पारितंत्र अन्योन्याश्रित अवयवों की एक इकाई है जो एक ही आवास को बांटते हैं। पारितंत्र में आमतौर पर अनेक खाद्य जाल बनाते हैं जो पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर इन जीवों के अन्योन्याश्रय और ऊर्जा के प्रवाह को दिखाते हैं। जिसमें वे अपने आवास भोजन व अन्य जैविक क्रियाओं के लिए एक दूसरे पर निर्भर रहते हैं।
और फिर जब ये मृत हो जाते है तब इनका शरीर मिट्टी में अपघटित होकर मिट्टी को ओर उपत्पादक करता है, और मिट्टी के ये तत्व पौधों को जीवन प्रदान करने में मदत करता है । ऐसे ही सब एक जीव दूरसे जीव पर निर्भर करता है। फिर इस प्रकार एक परस्पर निर्भरता का चक्र बन जाता है, जिसे जैव-भू-रसायनिक (Bio-Geo-Chemical Cycling) बोला जाता हैं। और इन जीवों के समुदाय को उनके पर्यावरण सहित, सामृहिक रूप से एक इकाई माना गया है. जिसे पारिस्थितिकी तन्त्र (Eco-System) कहा जाता है।
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पारितंत्र के प्रकार | Types Of Ecosystem
पारितंत्र या पारिस्थितिक तंत्र निम्नलिखित दो प्रकार के होते है:
1. स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र (Terrestrial Ecosystems):
स्थलीय (मतलब जमीन के उपर वाली) पारिस्थितिकी प्रणाली में निम्न दिए हुई श्रेणी शामिल है।
A) जंगल पारिस्थितिकी तंत्र
B) चारागाह पारिस्थितिकी तंत्र
C) रेगिस्तान पारिस्थितिकी तंत्र
D) अर्ध शुष्क क्षेत्र पारिस्थितिकी तंत्र
E) पर्वत पारिस्थितिकी तंत्र
F) द्वीप पारिस्थितिकी तंत्र
2. जलीय पारिस्थितिकी प्रणाली (Aquatic Ecosystem):
जलीय पारिस्थितिकी तंत्र पानी के एक शरीर में मौजूद पारिस्थितिक तंत्र हैं।
A) मीठे पानी का पारिस्थितिकी तंत्र
B) समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र
C) तालाब पारिस्थितिकी तंत्र
D) झील पारिस्थितिकी तंत्र
E) आद्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र
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पारितंत्र के कार्य | Functions Of Ecosystem

पारितंत्र (पारिस्थितिकी तंत्र) के कार्य इस प्रकार हैं:
- यह आवश्यक पारिस्थितिक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करता है, जीवन प्रणालियों का समर्थन करता है और स्थिरता प्रदान करता है।
- जैविक और अजैविक घटकों के बीच पोषक तत्वों के चक्रण के लिए भी जिम्मेदार है।
- पारिस्थितिकी तंत्र में विभिन्न पौष्टिकता स्तरों के बीच संतुलन बनाए रखता है।
- जीवमंडल के माध्यम से खनिजों को चक्रित करता है।
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पारितंत्र के घटक | Ecosystem components
पारितंत्र (पारिस्थितिकी तंत्र) के निम्नलिखित दो घटक होते है:
- सजीव या जैविक घटक
- निर्जीव या अजैविक घटक
1. सजीव या जैविक घटक
समस्त जंतु एवं पौधे जीवमंडल में जैविक घटक के रूप में पाए जाते हैं. जैविक घटक को उत्पादक, उपभोक्ता और अपघटक तीन भागों में विभाजित किया गया है –
- उत्पादक
- उपभोक्ता
- अपघटक
1⇒ उत्पादक
हरे प्रकाश संश्लेषण पौधे उत्पादक कहलाते हैं. प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में पौधे कार्बन डाइऑक्साइड एवं पानी की सहायता से प्रकाश की उपस्थिति में ग्लूकोज का निर्माण करते हैं. ग्लूकोज अन्य भोज्य पदार्थों में परिवर्तित हो जाता है. जिसको जंतु भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं.
2⇒ उपभोक्ता
जंतु पौधों द्वारा बनाए गए भोजन पर आश्रित रहते हैं, इसलिए जंतुओं को उपभोक्ता कहते हैं. कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन तथा खनिज हमारे भोजन के अवयव है. जो अनाज, बीज, फल, सब्जी आदि से प्राप्त होते हैं. यह सभी पौधों की ही देन है. कुछ जंतु मांसाहारी भी होते हैं जो अपना भोजन शाकाहारी जंतु का शिकार करके प्राप्त करते हैं. उपभोक्ता को निम्नलिखित श्रेणी में रखा गया है.
- प्रथम श्रेणी के उपभोक्ता या शाकाहारी
- द्वितीय श्रेणी के उपभोक्ता या मांसाहारी
- तृतीय श्रेणी के उपभोक्ता या सर्वाहारी
प्रथम श्रेणी के उपभोक्ता या शाकाहारी – प्रथम श्रेणी के उपभोक्ता शाकाहारी होते हैं इनके अंतर्गत वे जंतु आते हैं जो अपना भोजन सीधे हरे पौधों से प्राप्त करते हैं. जैसे- खरगोश, बकरी, चूहा, हिरण, भैंस, गाय, हाथी आदि. |
द्वितीय श्रेणी के उपभोक्ता या मांसाहारी – द्वितीय श्रेणी के उपभोक्ता मांसाहारी होते हैं एवं प्राथमिक उपभोक्ता या शाकाहारी प्राणियों का शिकार करते हैं. जैसे- मेंढक, सांप, छिपकली, लोमड़ी, बिल्ली, भेड़िया आदि. |
तृतीय श्रेणी के उपभोक्ता या सर्वाहारी – तृतीय श्रेणी के उपभोक्ता में ऐसे जीव जंतु आते हैं जो कि प्रथम तथा द्वितीय दोनों श्रेणियों के जंतु से अपना भोजन प्राप्त करते हैं. कुछ जंतु एक से अधिक श्रेणी के उपभोक्ता हो सकते हैं इन्हें सर्वाहारी कहते हैं. जैसे – बिल्ली, मनुष्य आदि. |
3⇒ अपघटक
ये जीव मंडल के सूक्ष्मजीव है जैसे- जीवाणु व कवक, ये उत्पादक तथा उपभोक्ताओं के मृत शरीर को सरल यौगिकों में अपघटित कर देते हैं ऐसे जीवो को अपघटक कहते हैं. यह विभिन्न कार्बनिक पदार्थों को उनके सरल अवयव में तोड़ देते हैं. सरल पदार्थ फिर से भूमि में मिलकर पारितंत्र के अजैव घटक का अंश बन जाते हैं.
निर्जीव या अजैविक घटक
अजैविक घटक के अंतर्गत निर्जीव वातावरण आता है. जो विभिन्न जैविक घटकों का नियंत्रण करता है. अजैविक घटक को अकार्बनिक, कार्बनिक, भौतिक तीन उप घटकों में विभाजित किया गया है.
- अकार्बनिक घटक
- कार्बनिक घटक
- भौतिक घटक
1⇒ अकार्बनिक घटक
अकार्बनिक घटक के अंतर्गत पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फेट, लोहा, सल्फर, आदि के लवण, जल तथा वायु की गैस जैसे- ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन, अमोनिया आदि आती है.
2⇒ कार्बनिक घटक
कार्बनिक घटक के अंतर्गत कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा आदि सम्मिलित है. ये मृतक जंतु एवं पौधों के शरीर से प्राप्त होते हैं. अकार्बनिक एवं कार्बनिक भाग मिलकर निर्जीव वातावरण का निर्माण करते हैं.
3⇒ भौतिक घटक
भौतिक घटक के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के जलवायवीय कारक जैसे वायु, प्रकाश, ताप, विद्युत आदि आते हैं.
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पारितंत्र क्या है?: FAQs
वह तंत्र जिसमें समस्त जीवधारी आपस में एक-दूसरे के साथ तथा पर्यावरण के उन भौतिक एवं रासायनिक कारकों के साथ परस्पर क्रिया करते हैं जिसमें वे निवास करते हैं। ये सब ऊर्जा और पदार्थ के स्थानांतरण द्वारा संबद्ध हैं।
पारितंत्र में अपमार्जक मृत जैव अवशेषों का अपमार्जन करते हैं। ये मृत शरीरों का अपने भोजन के लिए उपयोग करते हैं। वे जटिल कार्बन पदार्थों को सरल पदार्थों में परिवर्तित करते हैं। जैविक कचरा, पेड़ पौधों के सड़े- गले भाग, गाय- भैंस के गोबर, सड़े- गले फल, सब्ज़ियों के छिलके आदि का कुछ समय के अंतराल में अपघटन कर देते हैं।
प्रकृति में महासागरों को सबसे स्थिर पारिस्थितिकी तंत्र माना जाता है।
एक स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र एक प्रकार का पारिस्थितिक तंत्र है जो केवल बायोम पर पाया जाता है। सात प्राथमिक स्थलीय पारिस्थितिक तंत्र मौजूद हैं: टुंड्रा, टैगा, समशीतोष्ण पर्णपाती वन, उष्णकटिबंधीय वर्षा वन, घास के मैदान, रेगिस्तान जीवों का एक समुदाय और उनका पर्यावरण जो महाद्वीपों और द्वीपों के भूमि द्रव्यमान पर होता है।
बायोस्फीयर पृथ्वी का सबसे बड़ा पारिस्थितिकी तंत्र है। बायोस्फीयर पृथ्वी का जीवन क्षेत्र या पृथ्वी का हिस्सा है जहां जीवन मौजूद है।
विश्व का सबसे बड़ा पारिस्थितिकी तंत्र समुद्र है ।
पारितंत्र या पारिस्थितिक तंत्र निम्नलिखित प्रकार के होते है:
1. स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र (Terrestrial Ecosystem)
2. वन पारिस्थितिकी तंत्र (Forest Ecosystem)
3. ग्रासलैंड इकोसिस्टम (Grassland Ecosystem)
4. रेगिस्तान का पारिस्थितिकी तंत्र (Desert Ecosystem)
5. टुंड्रा इकोसिस्टम (Tundra Ecosystem)
6. मीठे पानी का पारिस्थितिकी तंत्र (Freshwater Ecosystem)
7. समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र (Marine Ecosystem)
यूजीन पी ओदुम.
भारतीय तटीय पारिस्थितिकी तंत्र एक समृद्ध जैव विविधता को समाहित किये हुए है जिसमें प्रवाल भित्तियाँ, लाखों हेक्टेयर में फैला मैंग्रोव क्षेत्र, मछलियाँ एवं समुद्री कछुओं तथा अन्य जीवों की अनेक प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
अंतिम शब्द
तो दोस्तों आज हमने “पारितंत्र क्या है? | Ecosystem Meaning In Hindi” के बारे में विस्तार से जाना है और मैं आशा करता हु की आप सभ को हमारा यह पोस्ट जरुर पसंद आया होगा और आप के लिए हेल्पफुल भी होगा.
यदि आप को अभी भी पारितंत्र (Ecosystem) से सम्बंधित कोई भी जानकारी नहीं समझ आई या फिर आप इससे सम्बंधित और कोई जानकारी चाहते है तो हमे निचे कमेंट कर के जरुर बताये.
आर्टिकल को पूरा पढने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद.