भाषा किसे कहते हैं? – परिभाषा, उदाहरण एवं प्रकार

भाषा (Bhasha) मनुष्य जीवन का एक अभिन्न अंग है। आज के इस लेख में हम भाषा किसे कहते हैं, भाषा की परिभाषा, भाषा के उदाहरण, भाषा के भेद, आदि के बारे में विस्तार से जानेंगे।

तो देर किस बात की? चलिए शुरू करते हैं।

भाषा किसे कहते हैं? | Bhasha Kise Kahate Hain

भाषा की परिभाषा
भाषा की परिभाषा

भाषा की परिभाषा: भाषा एक ऐसा साधन है जिसका उपयोग कर एक मनुष्य अपने मन के भावों या विचारों को दूसरो के समक्ष बोलकर, लिखकर, या पढ़कर प्रकट कर सकता है।

दुसरे शब्दों में हम कह सकते हैं की, “जिस माध्यम से हम अपने भावों या विचारो को दूसरों को समझा सके और दूसरों के भावों या विचारो को समझ सके उसे भाषा कहते है।”

भाषा के उदाहरण इस प्रकार हैं:

  • हिंदी
  • अंग्रेजी
  • मराठी
  • तमिल, आदि।

प्राचीन काल (पुराने समय) में आदिमानव एक-दूसरे के विचारों और भावनाओं को समझने के लिए संकेतों का प्रयोग करते थे, लेकिन संकेतों के माध्यम से किसी बात को समझना या समझाना एक कठिन कार्य था।

इस समस्या को दूर करने के लिए उन्होंने अपने मुख से तरह-तरह की आवाजें निकालनी शुरू कीं और इन ध्वनियों से अलग-अलग शब्द बनाने लगे, और इस प्रकार उत्पत्ति हुई अलग-अलग भाषाओँ की।

अगर आप को नहीं पता तो बता दूँ की, हिंदी भाषा को “संस्कृत” भाषा का ही एक अंग माना जाता है, और भाषा शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के ‘भाषा धातु‘ से हुई है, जिसका अर्थ होता है – बोलना

भाषा के गुण

भाषा के गुण निम्नलिखित हैं:

  • इसका उच्चारण मानव मुख से किया जाता है।
  • इसमें सार्थक ध्वनियों का प्रयोग किया जाता है।
  • प्रत्येक भाषा में ध्वनि चिह्न होते हैं।
  • प्रत्येक भाषा की वाक्य संरचना की अपनी प्रणाली होती है।
  • इसमें शब्दों के अर्थ निश्चित होते हैं, वे बदलते नहीं हैं।
  • यह एक का संदेश दूसरे तक पहुंचाने का काम करता है।

भाषा का महत्व

मानव के व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन में भाषा के महत्व निम्नलिखित हैं:

  • भाषा विचारों के आदान-प्रदान का सबसे आसान तरीका है।
  • भाषा ज्ञान का मुख्य स्रोत होता है।
  • राष्ट्रीय एकता का आधार होता है भाषा।
  • सामाजिक जीवन में प्रगति का माध्यम भी भाषा है।
  • व्यक्तित्व निर्माण में सहायक होता है।
  • चिंतन और मनन का स्रोत या माध्यम है भाषा।
  • साहित्य, कला, सभ्यता और संस्कृति के विकास के लिए अहम है भाषा।
  • शिक्षा भाषा प्रगति की आधारशिला है।

भाषा कितने प्रकार के होते हैं? | Bhasha Kitne Prakar Ki Hoti Hai

भाषा के प्रकार
भाषा के प्रकार

भाषा के प्रकार: मुख्य रूप से भाषा 3 प्रकार के होते हैं, जो इस प्रकार हैं:

  1. मौखिक भाषा (Oral Language)
  2. लिखित भाषा (Written Language)
  3. सांकेतिक भाषा (Symbolic / Indicative Language)

चलिए अब भाषा के भेदों को एक-एक कर के समझ लेते हैं।

1. मौखिक भाषा किसे कहते हैं? | Maukhik Bhasha Kise Kahate Hain

मौखिक भाषा की परिभाषा: भाषा का वह रूप जिसमे एक व्यक्ति अपने भावो एवं विचारों को बोलकर दुसरे व्यक्ति के सामने प्रकट करता हैं और दूसरा व्यक्ति वह सुनकर समझ पता है, तो इसे मौखिक भाषा (Oral Language) कहते हैं।

मौखिक भाषा को कथित और उच्चरित भाषा भी कहते हैं। बोलना और सुनना मौखिक भाषा के रूप हैं। मौखिक भाषा के अंतर्गत बोलने वाला वक्ता और सुनने वाला श्रोता कहलाता है।

मौखिक भाषा की महत्वपूर्ण इकाई ध्वनि होती है और इन ध्वनियों के संयोजन से शब्द बनता है जो वाक्य बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है और वाक्य बातचीत में प्रयोग किया जाता है।

मौखिक भाषा के उदाहरण (Maukhik Bhasha Ke Udaharan) इस प्रकार हैं:

  • नेता जी भाषण दे रहे हैं। (वक्ता – नेता जी || श्रोता – जनता)
  • अध्यापिका बोलकर छात्रों को पढ़ा रही है। (वक्ता – अध्यापिका || श्रोता – छात्र)
  • रमेश मोबाइल फ़ोन पर अपने दोस्त सुरेश से बात कर रहा है। (वक्ता – रमेश || श्रोता – सुरेश)

2. लिखित भाषा किसे कहते हैं? | Likhit Bhasha Kise Kahate Hain

लिखित भाषा की परिभाषा: भाषा का वह रूप जिसमे एक व्यक्ति अपने भावो एवं विचारों को लिखकर दुसरे व्यक्ति के सामने प्रकट करता हैं और दूसरा व्यक्ति उन्हें पढ़कर समझ पता है, तो इसे लिखित भाषा (Written Language) कहते हैं।

लिखना और पढ़ना इस भाषा के रूप हैं। लिखित भाषा में अपने भावों और विचारों को समझाने के लिए दोनों ही व्यक्ति (लिखने वाला और पढने वाला) का पढ़ा-लिख होना आवश्यक है।

लिखित भाषा के उदाहरण (Likhit Bhasha Ke Udaharan) इस प्रकार हैं:

  • श्याम पात्र लिख रहा है।
  • राधा गीत लख रही है।
  • शिवम अपनी प्रेमिका के लिए प्रेम पात्र लिख रहा है।

3. सांकेतिक भाषा किसे कहते हैं? | Sanketik Bhasha Kise Kahate Hain

सांकेतिक भाषा की परिभाषा: भाषा का वह रूप जिसमे एक व्यक्ति अपने भावो एवं विचारों को इशारो (संकेतो) द्वारा दुसरे व्यक्ति के सामने प्रकट करता हैं, तो इसे सांकेतिक भाषा (Symbolic Language) कहते हैं।

सांकेतिक भाषा के लिए समझने और समझाने वाले का आमने सामने होना आवश्यक है। इस भाषा का प्रयोग मुख्यतः वे लोग करते है जो बोल या सुन नहीं सकते। हिंदी व्याकरण में सांकेतिक भाषा का अध्ययन नहीं किया जाता है क्योंकि यह एक सर्वग्राह्य भाषा नहीं है।

सांकेतिक भाषा के उदाहरण (Sanketik Bhasha Ke Udaharan) इस प्रकार हैं:

  • ट्रैफिक नियम
  • भूख लगने पर बच्चे का रोना।
  • एक गूंगे व्यक्ति का इशारों में बात करना।

भाषा के वभिन्न रूप कौन-कौन से हैं?

हर देश में भाषा के मुख्यतः तीन ही रूप होते हैं, जो इस प्रकार हैं:

1. बोलियाँ – किसी स्थान विशेष में रहने वाले लोग आपस में संवाद करने के लिए जिस भाषा का प्रयोग करते हैं, उसे उस स्थान विशेष की बोली कहते हैं, जिसका प्रयोग केवल उस स्थान पर रहने वाले ही करते हैं।

2. परिभाषित भाषा – जब एक बोली का प्रयोग एक से अधिक स्थानों पर किया जाता है और उस बोली को व्याकरण द्वारा परिष्कृत किया जाता है, तो वह एक परिभाषित भाषा बन जाती है। शिक्षा, शासन और साहित्य में इस भाषा का प्रयोग किया जाता है।

3. राष्ट्रभाषा – जब कोई भाषा देश के अधिकांश भागों में बोली और समझी जाती है तो वह भाषा राष्ट्रभाषा कहलाती है। जैसे – हिन्दी भाषा लगभग पूरे भारत में समझी और बोली जाती है, अतः यह भारत की राष्ट्रभाषा है।

भारत की 22 भाषाए और उनकी लिपि

भाषालिपि
हिंदीदेवनागरी लिपि
पंजाबीगुरुमुखी
सिंधीदेवनागरी / फारसी
कश्मीरीफ़ारसी
गुजरातीगुजराती
मराठीदेवनागरी
उड़ियाउड़िया
बंग्लाबांग्ला
असमियाअसमिया
उर्दूफारसी
तमिलब्राह्मी
तेलुगुब्राह्मी
मलयालमब्राह्मी
कन्नड़कन्नड़/ ब्राह्मी
कोकडीदेवनागरी
संस्कृतदेवनागरी
नेपालीदेवनागरी
संथालीदेवनागरी
डोंगरीदेवनागरी
मणिपुरीमणिपुरी
वोडोदेवनागरी
मैथिलीदेवनागरी/ मैथिली

भाषा से सम्बंधित कुछ प्रश्न-उत्तर

प्रश्न: भाषा का क्या अर्थ होता है?

उत्तर: भाषा एक ऐसा साधन होता है, जिसके द्वारा एक मनुष्य बोलकर, सुनकर, लिखकर व पढ़कर अपने मन के भावों या विचारों का आदान-प्रदान करता है।

प्रश्न: भाषा के 3 प्रकार कौन से हैं?

उत्तर: भाषा के 3 प्रकार इस प्रकार हैं: मौखिक भाषा, लिखित भाषा, और सांकेतिक भाषा।

प्रश्न: 22 भाषा कौन-कौन सी है?

उत्तर: 22 भाषाएँ इस प्रकार हैं: हिंदी, पंजाबी, सिंधी, कश्मीरी, गुजराती, मराठी, उड़िया, बंग्ला, असमिया, उर्दू, तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़, कोकडी, संस्कृत, नेपाली, संथाली, डोंगरी, मणिपुरी, वोडो, और मैथिली।

अंतिम शब्द

आज के इस लेख में हमने भाषा किसे कहते हैं, भाषा की परिभाषा, भाषा के उदाहरण, भाषा के भेद, आदि के बारे में विस्तार से जाना है।

मैं आशा करता हूँ की आप सभी को यह लेख पसंद आई होगी। यदि आपके मन में किसी भी प्रकार का प्रश्न या संदेह है तो आप निचे कमेंट कर के जरुर पूछे, मै आपको रिप्लाई करने की पूरी कोशिश करूँगा।

लेख को अंत तक पढने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद।

सुधांशु कोडमास्टर के संस्थापक हैं। वह पेशे से एक वेब डिज़ाइनर हैं और साथ ही एक उत्साही ब्लॉगर भी हैं जो हमेशा ही आपको सरल शब्दों में बेहतर जानकारी प्रदान करने के प्रयास में रहते हैं।

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